नोटा क्या है | Nota Kya Hai
नोटा, जिसे "उपरोक्त में से कोई नहीं" कहा जाता हैं, यह एक प्रकार का विकल्प है जो किसी मतदाता को चुनाव लड़ने वाले सभी उम्मीदवारों के लिए आधिकारिक तौर पर अस्वीकृति का वोट दर्ज करने में सक्षम बनाता है या दूसरे शब्दों में यह विकल्प मतदाता को कोई भी उम्मीदवार को न चुनने की अनुमति देता है.
Nota का Fullform
नोटा का इतिहास
नोटा का विचार सर्वप्रथम 1976 में उत्पन्न हुआ जब Isla Vista Municipal Advisory Council ने संयुक्त राज्य अमेरिका में कैलिफोर्निया के Santa Barbara County में आधिकारिक चुनावी मतपत्र में इस प्रकार के विकल्प को आगे बढ़ाने के लिए प्रस्ताव पारित किया. उस समय के परिषद मंत्रियों ने चुनावों के लिए मतपत्र प्रक्रिया में कुछ बदलाव करने के लिए एक कानूनी प्रस्ताव पेश किया. 1978 में पहली बार नेवाडा राज्य द्वारा एक मतपत्र में 'नोटा' (NOTA) विकल्प पेश किया गया था. कैलिफ़ोर्निया में, नोटा को बढ़ावा देने में कुल $987,000 खर्च किए गए थे. एवं उसके बाद से इस पर विचार विमर्श करके इसे लागु एवं उपयोग में लिया जाने लगा एवं तब से लेकर वर्तमान में कई देश इस विकल्प को उपयोग में लेते है जिसे एक देश हमारा प्यारा भारत भी है.
भारत में नोटा की शुरुआत कब से हुई?
भारत में नोटा की शुरुआत काफी पहले हो जाती लेकिन विचार विमर्श में समय निकलता गया. फिर 27 सितंबर 2013 को, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने एक फैसला सुनाया कि चुनाव में नोटा का वोट दर्ज करने का अधिकार लागू होना चाहिए एवं चुनाव आयोग को EVM में नोटा समर्पित एक बटन प्रदान करने का आदेश दिया गया था.
माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का पालन करते हुए चुनाव आयोग ने मतदाताओं को नोटा का प्रयोग करने की अनुमति देने के लिए 'नोटा' विकल्प के लिए एक विशेष प्रतीक पेश किया. यह प्रतीक या चिन्ह सभी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) पर अंतिम पैनल में दिखाई देता है.
नोटा का उद्देश्य
'नोटा' विकल्प का मुख्य उद्देश्य उन मतदाताओं को सक्षम बनाना है जो किसी भी उम्मीदवार को वोट नहीं देना चाहते हैं, वे अपने निर्णय की गोपनीयता का उल्लंघन किए बिना अस्वीकार करने के अपने अधिकार का प्रयोग कर सकते हैं. मतदाता को अस्वीकृति का वोट दर्ज करने के योग्य होना चाहिए यदि उन्हें लगता है कि चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार वोट देने के लायक नहीं हैं. सभी नागरिकों को दिए गए वोट के अधिकार को अस्वीकृति के वोट की अनुमति देनी चाहिए.
ईवीएम की शुरुआत से पहले, जब मतपत्रों के माध्यम से मतदान किया जाता था, मतदाताओं के पास किसी भी उम्मीदवार के खिलाफ बिना किसी निशान के मतपत्र डालने का विकल्प होता था, इस प्रकार सभी उम्मीदवारों को अस्वीकार कर दिया जाता था. इस वोट को नोटा के रूप में गिना जाता था.
एक टिप्पणी भेजें