मध्यप्रदेश के अभ्यारण्य | Madhya Pradesh Wildlife Sanctuary In Hindi
आर्थिक समीक्षा-2019-20 के अनुसार राज्य में वर्तमान में 24 अभ्यारण्य है। इसमें नौरादेही (सागर) सबसे बड़ा और रालामण्डल (इन्दौर) सबसे छोटा है। पाँच अभ्यारण्य प्रस्तावित है। सर्वाधिक 96 अभ्यारण्य अंडमान-निकोबार में है। म.प्र. का प्रथम अभ्यारण्य कान्हा किसली 1933 में घोषित हुआ। वर्तमान में 24 अभ्यारण्य है। पालपुर कुनो अभ्यारण्य राष्ट्रीय उद्यान बन गया है।
1. नौरादेही (सागर)
∆ 1975 में स्थापित।
∆ म.प्र. का सबसे बड़ा अभ्यारण्य ( 1194.67 किमी.)
∆ यह नर्मदा के कछार और गंगा बेसीन में विस्तृत है।
∆ सागर जिले में इसका मुख्यालय है। यह सागर, दमोह, नरसिंगपुर और रायसेन जिलों तक विस्तृत है।
∆ मुख्य संरक्षित प्राणी चीता (अफ्रीकी चीता को पुनर्वासित किया जा रहा है।)
∆ अन्य प्राणी : नीलगाल, कृष्णमृग, जंगली सुअर, चितल आदि • कोपरा, बामनेर, व्यर्मा, बिरमा नदियां इस अभ्यारण्य में प्रवाहित मुख्य नदियां है। जो केन की सहायक है।यहां कान्हा से बाघ और गिर से शेर लाकर बसाने की भी योजना 2018 में प्रस्तावित की गयी है।
2. रालामण्डल (इन्दौर)
• 1989 में स्थापित ।
• मप्र का सबसे छोटा अभ्यारण्य (2.34 किमी.) • देश का प्रथम लोमड़ी संरक्षित क्षेत्र 2017 में घोषित ।
• म.प्र. का प्रथम वन्य जीव जागरूकता केन्द्र ।
• म.प्र. का दूसरा तितली घर ।
• बंबु सेटंम नामक बाँस उत्पादन केन्द्र स्थापित ।
3. कालीमीत अभ्यारण्य (बैतूल में प्रस्तावित)
• बाघ गलियारा प्रोजेक्ट हेतु चयनित क्षेत्र अतः इसे अभ्यारण्य बनाने पर विचार चल रहा है।
• कालीभीत (बैतूल) और मेघराज अभ्यारण्य (महाराष्ट्र) को बाघ गलियारा बनाने का प्रस्ताव है।
• इस क्षेत्र में भालू और चीता संरक्षित किये जाएंगे।
4. खिओनी अभ्यारण्य (देवास-सिहोर)
• 1975 में स्थापित
• बालगंगा नदी और चन्द्रकेशर नदी का उद्गम एवं प्रवाह इसी अभ्यारण्य में है।
• चन्द्रकेशर बांध और जामनेर जलप्रपात प्रमुख पर्यटन स्थल ।
5. सरदारपुर अभ्यारण्य (धार)
• 1983 में स्थापित
• मूलतः खरमोर पक्षी के संरक्षण के लिये स्थापित
• 2005 से दूधराज, खड़तीतर और सुल्ताना बुलबुल का भी संरक्षण
6. सैलाना अभ्यारण्य (रतलाम)
• 1983 में स्थापित
• खरमौर, दुधराज, सुल्ताना बुलबुल, खडतीतर आदि का संरक्षण
• केरल निवासी प्रसिद्ध पक्षी विशेषज्ञ सालीम अली ने सैलाना में मौजूद 89 पक्षी प्रजातियों का उल्लेख अपनी पुस्तक में किया।
• सैलाना की एक अन्य विशेषता है- शुष्क पर्णपाती (कठियावाड़ गिर जंगलों का इकोर्जियन) वृक्षों की मौजुदगी ।
7. करेरा अभ्यारण्य (शिवपुरी)
• सोन चिड़िया संरक्षण हेतु 1981 में स्थापित।
• अन्य प्राणी भारतीय उल्लू सांभर, चिंकारा, चीतल, नीलगाय।
8. घाटीगांव (ग्वालियर)
• सोन चिड़ियां (द ग्रेट इंडियन बर्डस्) के संरक्षण के लिये 1981 में स्थापित।
• शाह बुलबुल (दुधराज) को भी यहा संरक्षण प्रदान किया गया है।
9. चम्बल अभ्यारण्य
• 1978 में स्थापित
• म.प्र. का सबसे बड़ा घड़ियाल संरक्षण अभ्यारण्य है ।
• मुख्यतः संरक्षित प्राणी डाल्फिन और घड़ियाल ।
अन्य : मगरमच्छ, कछुआ, ऊद बिलाव आदि ।
• क्षेत्र विस्तार मुरैना, भिण्ड (म.प्र.), धौलपुर (राजस्थान) इटावा (उ.प्र.)
10. केन अभ्यारण्य (छतरपुर)
● 1981 में स्थापित
• क्षेत्र विस्तार छतरपुर पन्ना
• संरक्षित प्राणी घडियाल, मगरमच्छ, 2017 से गिद्ध संरक्षण भी।
11. सोन घड़ियाल अभ्यारण्य (शहडोल - सीधी )
● 1981 में स्थापित (सोन नदी पर शहडोल में) • क्षेत्र विस्तार : शहडोल, सीधी, सिंगरौली, सतना ।
• संरक्षित प्राणी घड़ियाल, कछुआ, मगरमच्छ आदि।
• केंचुए की सर्वाधिक प्राचीन प्रजाति के लिये भी प्रसिद्ध है। 12. सिंधौरी अभ्यारण्य ( रायसेन )
• 1976 में स्थापित ( औब्दुल्लागंज, रायसेन )
• संरक्षित प्राणी बाघ, तेंदुआ, चितल
• बरेनों बांध इसी में स्थित है।
• अन्य दर्शनिक स्थल मृगेन्द्रनाथ की गुफाएं, जामवती गुफा, चौकीगढ़ का किला ।
13. रातापानी अभ्यारण्य (रायसेन )
◆ 1976 में स्थापित
◆ क्षेत्र : रायसेन, सीहोर
◆ म.प्र. का एकमात्र अभ्यारण्य जो प्रोजेक्ट टाइगर में शामिल है। (2012)
◆ इसमें से बेतवा नदी प्रवाहित होती है।
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