मध्यप्रदेश के प्रमुख किलें एवं दुर्ग
1. नरसिंहगढ़ का किला
राजगढ़ जिले में स्थित इस किले को काश्मीर-ए-मालवा कहा जाता है। किले के समीप चिड़िखो झील है।
2. ग्वालियर किला
ग्वालियर किले को किलों का रत्न कहा जाता है जिसे राजा सूरजसेन ने ऋषि गालव की स्मृति में 500 ईसवी में बनवाया था। इसे पूर्व के जिब्राल्टर की संज्ञा दी जाती है। यह गोपाचल पर्वत पर स्थित है। इसमें आलमगीर दरवाजा, हिण्डोला दरवाजा, गूजरी महल दरवाजा, चतुर्भुज मंदिर दरवाजा और हाथी फोड़ दरवाजा प्रमुख है। इस किले में सास-बहु मंदिर चतुर्भुज मंदिर, मान का मंदिर, तेली का मंदिर एवं विष्णु मंदिर भी स्थित है। सहस्त्रबाहु (सास-बहू) मंदिर का निर्माण 1092 ई. कछवाहा वंश के राजा महिपाल ने करवाया था।
3. माण्डु दुर्ग
माण्डु दुर्ग भी एक विशाल परकोटा हैं, जिसमें 12 दरवाजें है। मांडवगढ़ किया (धार) छटी ई. के पूर्व मांडाप दुर्ग के नाम से बना था।
4. पूरणमल का किला
पूरणमल का किला रायसेन में है, जिसे शेरशाह तमाम कोशिशों के बाद भी नहीं जीत पाया था। इसे मूलतः राजा रासबंसती ने बनवाया था।
5. असीरगढ़ किले
असीरगढ़ किले (बुरहानपुर) को दक्षिण का प्रवेशद्वार कहा जाता है। यह मुमताज के प्रसव और उसकी मृत्यु के साथ जुड़ा हुआ है। यह किला 10वीं शताब्दी में आशा नामक अहीर राजा द्वारा बुरहानपुर जिले में निर्मित करवाया गया था। इस किले में आशा देवी का मंदिर तथा 10वीं शताब्दी में निर्मित एक प्राचीन शिव मंदिर भी स्थित है।
6. अजयगढ़ दुर्ग
पन्ना के निकट अजयगढ़ दुर्ग राजा अजयपाल द्वारा निर्मित एक विशाल और सुदृढ़ दुर्ग है। भोपाल से 60 किलोमीटर दूर गिन्नौरगढ़ का किला हैं जिसे महाराज उदयवर्धन ने बनवाया था। अजयगढ़ पर पत्थर की नक्काशी पर बना हुआ राजा अमन का महल अत्यधिक प्रसिद्ध एवं दर्शनीय है।
7. चंदेरी दुर्ग
अशोकनगर जिले में 'चंदेरी साड़ी के साथ अपने दुर्ग के लिए भी मशहूर है। इसे प्रतिहार राजा कीर्तिपाल ने 11वीं सदी में बनवाया था
8. बांधवगढ़ का दुर्ग
उमरिया जिले में बांधवगढ़ का दुर्ग अभेद्य और भव्य दुर्ग के रूप में विख्यात है, जो अब बीहड़ जंगलो में पहाड़ी पर स्थित हैं। यह दुर्ग 14वीं शताब्दी में बघेल शासक व्याघ्र देव द्वारा निर्मित करवाया गया था। उमरिया जिले में स्थित इस दुर्ग में क्षीर रीवा सागर कुण्ड, शेषशायी तालाब तथा विष्णु भगवान का मंदिर और राम-लक्ष्मण- -सीता का मंदिर स्थित है।
9. ओरछा दुर्ग
बेतवा नदी तट पर स्थित ओरछा दुर्ग बुन्देला राजाओं के शौर्य और त्याग की कहानी कहता प्रतीत होता हैं। यह झाँसी के निकट स्थित है। निवाड़ी जिले में स्थित यह दुर्ग 16वीं शताब्दी में राजा वीर सिंह द्वारा निर्मित किया गया था। यही बुंदेलाओं की छतरिया स्थित है।
10. मण्डला दुर्ग
मण्डला में नर्मदा बंजर के संगम पर स्थित है, जो गोण्डवंश की राजधानी रहा है। इसका निर्माण राजा नरेश शाह ने 1691-1731 के मध्य करवाया था। इसमें राजराजेश्वरी की स्थापना निजाम शाह ने की थी।
11. दतिया का किला
बुन्देला नरेश वीरसिंह देव ने 1626 ई. में इस किले को बनवाया था। नरेश भवानी सिंह ने इसके द्वारपट पर लिखवाया था "जस्टिस इज द गेम आफ क्राउन । किले में सतखण्डा महल, वीर महल, गोपाल महल, मुण्डा महल स्थित है। किले के अंदर दीवारों पर गैंडा, हाथी तथा उसके विपरीत दिशा में हिप्पो चिड़िया का सिर टंगा है। सतखण्डा महल में ऊपर सात व नीचे दो तल है।
12. कान्हरगढ़
दतिया में सिंधु नदी तट पर स्थित किला।
13. मकड़ाई का किला
मकड़ाई का किला हरदा जिला मुख्यालय से 30 किमी दक्षिण पूर्व में स्थित है। यहां के राजा मकरंद शाह ने पिंडारियों के हमलों से बचाव के लिए इस किले का निर्माण कराया था। किले के निकट ही जादूगर मालन का महल सिमानी नदी के तट पर है। किले में चार द्वारा भवन राज परिवार के निवास स्थल, बुर्ज एवं विशाल भव्य बावड़ी है।
14. सबलगढ़ का किला
यह किला प्रदेश के मुरैना जिले के सबलगढ़ की ऊँची पहाड़ी पर करौली के यदुवंशी राजा गोपीसिंह द्वारा 18वीं शाताब्दी के पूर्वार्द्ध में बनाया गया। चार प्रवेश द्वार वाले इस किले के अंदर नवलसिंह की हवेली तथा बुर्जों की विशाल श्रृंखला है। • स्थापना 18वीं शति में सबला गुर्जर द्वारा रखी नींव पर किला करौली महाराज यदुवंशी गोपीसिंह द्वारा बनाया गया।
15. मंदसौर का किला
सिवनी नदी के किनारे स्थित है। इसे अलाउद्दीन खिलजी ने 1299 ई. में बनवाया था। इस किले में 500 वर्ष पुराना तापेश्वर महादेव मंदिर है। किले के प्राचीर में अनेक पत्थरों पर हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियाँ बनी है। किले का संबंध कछवाहों, तोमरों और जयपुर के राजघरानों से है।
16. कुशलगढ़ किला
कुशलगढ़ का किला म.प्र. के इन्दौर जिले की महू तहसील में स्थित है, जिसे राज्य शासन ने पुरातत्व महत्व का मानते हुए संरक्षित स्मारक घोषित किया है।
17. धार का किला
निर्माता मूलत राजाभोज द्वारा निर्मित किंतु वर्तमान स्वरूप मुहम्मद-बिन-तुगलक ने दिया। समय 1344 ईसवी जब तुगलक दक्षिण विजय के दौरान धार रूका था। शैली : इण्डो-इस्लामिक शैली (विशेषकर हिन्दु-अफगानी) . . किले में स्थित अन्य ईमारतें : माँ कालका मंदिर, खरबूजा महल, अब्दुल शाह चंगेज का मकबरा
18. गिन्नौर गढ़ दुर्ग
स्थापना 13वीं शति में राजा उदयवर्मन द्वारा। अंतिम गोड़ राजा कमलपति की सहायता कर दोस्त मुहम्मद ने भोपाल प्राप्त किया, फिर कमलपति से गिन्नौर गढ़ दुर्ग छिन लिया तोतों की पर्याप्त उपलब्धता के कारण "शुःक क्षेत्र” कहलाता है।
19. गोहद का किला
16वीं शति में जाट राजाओं द्वारा निर्मित भिण्ड जिले के गोहद में स्थित यूनेस्को ने किले को आनरेबल हेरिटेज की सूची में 2018 में शामिल किया।
20. गढ़ा कोटा(सागर) का किला निकट ही पटेरियाजी जैन तिर्थ है।
अन्य किलें और दुर्ग
शिवपुरी जिले में नरवर का किला (राजा नल द्वारा निर्मित) इन्दौर का राजवाड़ा होल्करो की राजधानी रहा, जबकि धार का किला परमारों की। अटेर और गोहर के किले भिण्ड जिले में स्थित है। नर्मदा के तट पर महेश्वर का किला तथा 15वीं सदी में निर्मित होशंगाबाद का किला है। मुरैना जिले की आसन नदी के किनारे स्थित कुतवार का पुराना किला, जिसे 18वीं सदी में गोहद के जाट राजा राणा क्षत्रपति ने कराया था। मंदसौर जिले में नावली कस्बे के समीप हिंगलाजगढ़ का दुर्ग है।
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