नमस्कार दोस्तों।
आज हम बात करेंगे विंड टर्बाइन की। विंड टर्बाइन में हमेशा तीन ब्लेड ही क्यों होती हैं दो क्यों नहीं। इससे जुड़े सारे तथ्यों की आज इस आर्टिकल में चर्चा करेंगे।
विंड टर्बाइन का अविष्कार
विंड टर्बाइन का आविष्कार 1888 में चार्ल्स एफ. ब्रश ने किया था। इसमें 144 लकड़ी के ब्लेड थे और यह 12 किलोवाट बिजली पैदा कर सकता था। लेकिन समय के साथ हम तीन-ब्लेड वाले डिज़ाइन में आ गए और इसके कुछ अच्छे कारण हैं।
Photo: Wikipedia |
विंड टर्बाइन में तीन ब्लेड क्यों होती हैं?
पहली बात यह है कि अधिक ब्लेड की संख्या का अर्थ है हवा के कारण अधिक ड्रैग (एक बल जो गति को कम कर देगा)। लेकिन बिजली पैदा करने के लिए उपयोग की जाने वाली टर्बाइनों को उच्च गति से संचालित करने की आवश्यकता होती है, इसलिए ब्लेड की संख्या जितनी कम होगी, सिस्टम उतना ही अधिक कुशल होगा और अधिक बिजली का उत्पादन होगा।
विंड टर्बाइन में दो ब्लेड क्यों नहीं होती?
तीन ब्लेड से कम वाले टर्बाइन आवश्यकता से अधिक तेजी से घूमेंगे और बहुत अधिक कंपन उत्पन्न करेंगे, इस प्रकार बार-बार यांत्रिक समस्याएं पैदा होंगी। इसके अलावा अधिक संख्या में ब्लेड का मतलब अधिक लागत है, इसलिए तीन ब्लेड टर्बाइन पूरी तरह से फिट होते हैं।
सारांश
आशा हैं कि इस आर्टिकल में आपको विंड टर्बाइन से जुड़ी सारी समस्याएं दूर हो गई होगी। विंड टर्बाइन का अविष्कार, विंड टर्बाइन में दो ब्लेड क्यों नहीं होती? विंड टर्बाइन में तीन ब्लेड क्यों होती हैं? आपको अच्छे से समझ आ गया होगा।
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